
PIB ने ‘Abir Gulaal’ की भारतीय रिलीज़ को लेकर फैली खबरों को खारिज किया
सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं के बीच सरकार की प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने साफ कर दिया कि रोमांटिक कॉमेडी Abir Gulaal की 26 सितंबर 2025 को भारत में रिलीज़ की खबरें गलत हैं। PIB फैक्ट-चेक हैंडल ने पोस्ट कर कहा कि इस फिल्म को भारतीय सिनेमाघरों में दिखाने के लिए किसी तरह की मंजूरी नहीं दी गई है। यानी, जो रिपोर्ट्स दावा कर रही थीं कि फिल्म को “सोलो” स्लॉट मिल रहा है, वे बेबुनियाद निकलीं।
यह विवाद अप्रैल में शुरू हुआ था। 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, और उसी के बाद से फिल्म की भारतीय रिलीज़ पर ब्रेक लग गया। यह फिल्म पहले 9 मई 2025 को भारत में आने वाली थी, लेकिन हालात देखते हुए डिस्ट्रिब्यूटर्स पीछे हट गए। फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान की मौजूदगी ने माहौल और संवेदनशील बना दिया।
फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज़ (FWICE) ने हमले के बाद फिर अपील की कि पाकिस्तानी कलाकारों के साथ सहयोग रोका जाए। इंडस्ट्री के कई गिल्ड्स और ट्रेड बॉडीज़ पहले भी ऐसे वक्त में यही रुख अपनाते रहे हैं। म्यूजिक लेबल सारेगामा ने भी फिल्म के गानों को अपने यूट्यूब चैनल से हटाया, जबकि अधिकार उनके पास थे—यह कदम बताता है कि कंपनियां जोखिम लेने के मूड में नहीं हैं।
इसी बीच, फिल्म 12 सितंबर 2025 को विदेशों में रिलीज़ हो गई। भारत के लिए 26 सितंबर की चर्चा तेज हुई—क्योंकि उस दिन कोई बड़ी रिलीज़ तय नहीं थी—पर PIB के फैक्ट-चेक ने तस्वीर साफ कर दी: इस डेट के लिए कोई क्लीयरेंस नहीं। यहां एक बात समझना जरूरी है—सिनेमाघरों में रिलीज़ के लिए CBFC से प्रमाणन, डिस्ट्रीब्यूशन समझौते और सुरक्षा-लॉजिस्टिक्स की हरी झंडी, सब साथ-साथ चलते हैं; इनमें से कोई भी कड़ी ढीली पड़े तो प्लान रुक जाता है।
पृष्ठभूमि, नियम और असर: क्यों अटक जाती है रिलीज़
भारत में किसी भी फिल्म की सिनेमाघरी रिलीज़ के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का सर्टिफिकेट जरूरी है। इसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर-एग्ज़िबिटर नेटवर्क शो स्लॉट तय करते हैं। जब फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार हों या सुरक्षा हालात संवेदनशील हों, तो इंडस्ट्री के संगठन—जैसे FWICE या अन्य—सदस्यों से सहयोग न करने की अपील कर देते हैं। यह कोई औपचारिक क़ानूनी प्रतिबंध नहीं, मगर व्यावहारिक रूप से रिलीज़ की राह मुश्किल कर देता है—स्क्रीन मिलना, प्रमोशन करना, सुरक्षा व्यवस्था संभालना—सब पर असर पड़ता है।
यह पहली बार नहीं है। 2016 में उरी हमले के बाद इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IMPPA) ने पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम पर रोक का प्रस्ताव पारित किया था। 2019 के पुलवामा हमले के बाद ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) ने “टोटल बैन” की मांग की थी। उसी दौर में करण जौहर की ‘ऐ दिल है मुश्किल’ (फवाद खान विशेष भूमिका में) को रिलीज़ से पहले विरोध झेलना पड़ा, जबकि ‘रईस’ (माहिरा खान) के प्रमोशंस काफी सीमित रहे। पैटर्न साफ है—तनाव बढ़ता है, तो सांस्कृतिक एक्सचेंज सबसे पहले चपेट में आता है।
‘Abir Gulaal’ की बात करें, तो यह एक रोमांटिक कॉमेडी है, जिसे इंडियन स्टोरीज़ प्रोडक्शन, अ रिचर लेंस और आरजे पिक्चर्स ने मिलकर बनाया है। निर्माता मंडली में विवेक बी. अग्रवाल, अवंतिका हरी और राकेश सिप्पी के नाम हैं। निर्देशन आरती एस. बगड़ी ने किया और शूट लंदन में हुआ। कास्ट में फवाद खान और वाणी कपूर के अलावा लिसा हेडन, ऋद्धि डोगरा, फ़रीदा जलाल, सोनी राजदान और परमीत सेठी जैसे चेहरे शामिल हैं।
फवाद खान के लिए यह फिल्म बॉलीवुड में वापसी मानी जा रही थी। वे ‘खूबसूरत’ (2014), ‘कपूर एंड सन्स’ (2016) और ‘ऐ दिल है मुश्किल’ (2016) से भारत में लोकप्रिय हुए थे। उधर, वाणी कपूर ने ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘वार’ और ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ जैसी फिल्मों से पहचान बनाई। दोनों का पेयरिंग मार्केटिंग के लिहाज से मजबूत माना जा रहा था, लेकिन माहौल ने समीकरण बदल दिए।
ट्रेड एंगल से देखें तो “सोलो रिलीज़” की तारीख आकर्षक लगती है—कम प्रतिस्पर्धा, ज्यादा शोज़। मगर संवेदनशील हालात में थिएटर मालिकों के सामने सुरक्षा की चुनौती खड़ी हो जाती है: विरोध-प्रदर्शन का डर, पुलिस बैंडोबस्त का खर्च, और नुकसान का खतरा। यही वजह है कि डिस्ट्रिब्यूटर्स भी जोखिम-रिवॉर्ड का नया हिसाब लगाते हैं—कभी पूरी रिलीज़ टाल देते हैं, कभी सीमित रखते हैं।
डिजिटल और म्यूजिक अधिकारों पर भी असर पड़ता है। सारेगामा द्वारा गाने हटाने का मतलब है कि ब्रांड्स फिलहाल लो-प्रोफाइल रणनीति अपनाना चाहती हैं—ना नई क्लिप्स, ना आक्रामक प्रमोशन। ऐसे वक्त में फिल्म की चर्चा सोशल मीडिया अटकलों के भरोसे चलती है, और यहीं PIB फैक्ट-चेक जैसी एजेंसियां गलत दावों पर ब्रेक लगाने के लिए सामने आती हैं।
तो आगे क्या? टीम विदेशों में शोज़ जारी रख सकती है, लेकिन भारत में रास्ता तभी खुलेगा जब प्रमाणन, डिस्ट्रीब्यूशन और सुरक्षा—तीनों मोर्चों पर स्पष्ट और अनुकूल संकेत मिलें। अभी के लिए सरकारी फैक्ट-चेक ने 26 सितंबर की चर्चा पर अंतिम लाइन खींच दी है: इस तारीख पर रिलीज़ की कोई मंजूरी नहीं।
- 22 अप्रैल 2025: पहलगाम आतंकी हमला
- 9 मई 2025: भारत में तय रिलीज़ रद्द
- 12 सितंबर 2025: अंतरराष्ट्रीय रिलीज़
- हालिया अटकल: 26 सितंबर भारत में सोलो रिलीज़—PIB ने “फेक” बताया